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Diwali 2025 Mein Kab Hai

साल 2025 में दिवाली 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।
दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार निश्चित होती है।

दिवाली का त्योहार विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारणों से मनाया जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। आइए इन कारणों को विस्तार से जानते हैं:


1. रामायण की कथा

दिवाली का सबसे प्रमुख कारण भगवान श्रीराम से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे। यह दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि थी।
इसलिए दिवाली को अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।


2. माता लक्ष्मी का प्राकट्य

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। यह दिन भी कार्तिक अमावस्या का था। इसलिए इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ताकि घर में सुख, समृद्धि और धन का आगमन हो।


3. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह

दिवाली का दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को उनके मिलन का प्रतीक माना जाता है।


4. नरकासुर वध

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और 16,000 कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त किया था। यह घटना दिवाली से एक दिन पहले की मानी जाती है, जिसे नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली कहा जाता है।


5. महावीर निर्वाण दिवस

जैन धर्म के अनुसार, दिवाली का दिन भगवान महावीर के निर्वाण (मोक्ष प्राप्ति) का प्रतीक है। जैन समुदाय इस दिन दीये जलाकर और ध्यान-धारणा करके इसे मनाते हैं।


6. गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई (सिख परंपरा)

सिख धर्म में दिवाली का दिन गुरु हरगोबिंद जी की ग्वालियर के किले से रिहाई का प्रतीक है। उन्होंने 52 अन्य राजाओं को भी मुक्त करवाया था। इसे “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में मनाया जाता है।


7. अर्थ और संदेश

दिवाली को अच्छाई की बुराई पर जीत, ज्ञान के अज्ञान पर विजय, और प्रकाश के अंधकार पर जीत का प्रतीक माना जाता है। यह हमें अपने जीवन से नकारात्मकता और बुराई को हटाकर सकारात्मकता और सच्चाई को अपनाने की प्रेरणा देता है।


आधुनिक संदर्भ

आज के समय में दिवाली:

  • परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ मनाने,
  • घर को सजाने और साफ करने,
  • उपहार और मिठाई बांटने,
  • और जरूरतमंदों की मदद करने का पर्व बन गया है।

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है। यह पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। यहां दिवाली से जुड़ी प्रमुख जानकारी दी गई है:


1. दिवाली का महत्व

दिवाली का त्योहार भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
इसके अलावा, इसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के मिलन तथा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।


2. दिवाली के पांच दिन

  1. धनतेरस: इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी, और धन की खरीदारी शुभ मानी जाती है।
  2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध इसी दिन हुआ था।
  3. दिवाली: मुख्य पर्व, जब देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है।
  4. गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है।
  5. भाई दूज: यह दिन भाई-बहन के प्रेम को समर्पित है।

3. पूजा विधि

  • घर को साफ-सुथरा और सजावट से सुंदर बनाया जाता है।
  • देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है।
  • दीपक, मोमबत्ती, और रंगोली से घर को सजाया जाता है।
  • लक्ष्मी पूजन के दौरान मिठाई, फल, और फूल अर्पित किए जाते हैं।
  • पूजा के बाद पटाखे जलाए जाते हैं।

4. दिवाली के दौरान रीति-रिवाज

  • घर में साफ-सफाई और सजावट करना।
  • मिठाई और तोहफे बांटना।
  • व्यापारियों के लिए नया साल शुरू करने का दिन।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना।

5. दिवाली का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय पक्ष

  • दिवाली के दीप जलाने से वातावरण में मौजूद कीटाणुओं का नाश होता है।
  • हालाँकि, पटाखों का धुआँ पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए आजकल लोग हरित दिवाली (Green Diwali) मनाने की ओर प्रेरित हो रहे हैं।

 

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